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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Monday 17 April 2017

हास्य कवि सम्मेलन पटना में 16.4.2017 को सम्पन्न

कविताओं के अंश नीचे प्रस्तुत हैं- 
Sardar Manjeet Singh
प्रदीप चौबे:
जो हँसा
वो बसा
 मगर जो बसा
 वो फिर क्या हँसा?”
……
 “साली ने जीजा से कहा- जीजाजी मैं पास हो गई, मिठाई खिलाओ
 जीजा ने कहा – जरूर खिलाऊँगा, थोड़ी और पास हो जाओ.”
.....
“लालू ने चारा खाया” इसका फ्यूचर टेन्स बनाओ.
-    “अब लालू दूध देगा.”
.......
शादी की पूण्य तिथि
......
एक नौजवान और एक नवयुवती आपस में खिल-खिलाकर बातें कर रहे थे.
एक बूढ़े ने दूसरे बूढ़े से पूछा-
क्या वह लड़्का उस लड़की का भाई है
दूसरे बूढ़े ने जवाब दिया-
नहीं, वह लड़की उसको भायी है”

गौरी मिश्रा-
“कोई मेरे चेहरे को चाँद बतलाता
कोई कहता आफताब लगती हूँ मैं
उम्र भर जिसकी ख्वाहिश थी आपको
आपकी वही ख्वाब लगती हूँ मैं”

मनजीत सिंह-
“हूँ कवि मैं साहसी नहीं डरता सिकन्दर से

स्थान: भारतीय नृत्य कला मन्दिर मुक्ताकाशी मंच, फ्रेजर रोड, पटना
आयोजक: सोपान एवम मॉन्टेसरी स्कूल
प्रतिभागी- सन्तोष आनन्द, प्रदीप चौबे, डॉ. सुरेश अवस्थी, रामबाबू सिकरवार, सरदार मंजीत सिंह, गौरी मिश्रा

Sardar Manjeet Singh

Gauri Mishra

Gauri Mishra

Dr. Suresh Awasthi

Pradip Chaube

Praadip Chaube

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